'जनभाषा कविता के द्वार' में कुल 188 रचनाएँ हैं। इन सारी सर्जनाओं को पुस्तक के 285 पृष्ठों में समेटा गया है। कुछ रचनाओं के विषय हैं- प्रकृति, प्रेम, दर्द, धर्म/अध्यात्म, कोरोना, हास्य, राष्ट्र/वीरता/उत्साह, राजनीति, नववर्ष, कवि और कविता, बच्चे आदि-आदि। इन रचनाओं पर शब्द-वासंती फूलों की छटाएँ ख़ुद-ब- ख़ुद बहुत कुछ कहती हैं। मन को शांति देनेवाली प्रकृति के अनूठे और विशिष्ट रहस्यों को जानने के लिए सभी भूवासी लालायित रहते हैं। श्री गुप्ता जी की कविता में ऐसी विशिष्टता है कि मन को शांति दे सके। तन मन को स्फूर्तिदायक बनाकर धरती पर सृजनशीलता की ओर उन्मुख करे।
Janbhasha Kavita Ke Dwar
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