यह उपन्यास उन दिनों की याद दिलाता हैं। जब हम लोग स्कूली शिक्षा पूर्ण करके पहली बार घर से कही दूर, हॉस्टल रूपी अस्थाई घर में रहने के लिए जाते हैं। तो वहां किस तरह का जीवन होता हैं। क्या समस्या होती हैं। किस प्रकार पढ़ाई करते हैं। इस सबका एक मार्मिक वर्णन करता हैं। मौज मस्ती करते हॉस्टल के दिन कब बीत जाते हैं। पता ही नहीं चलता, ऐसे ही अनेकों कहानियों से भरा ये उपन्यास जो आप के हॉस्टल जीवन के हर एक दिन को याद दिलाएगा।
Ghar Se Hostel Tak
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