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हर शख़्स के ज़िन्दगी में कभी कभी ऐसा मंज़र जरूर आता है जो उसके ज़िन्दगी के ढंग को थोड़ा बदल के रख देता है। फिर कभी-कभी इंसान ख़ुद को अकेला महसूस करता है और अपने हालात के बारे में लिख- लिख कर अपना अकेलापन दूर करता है।

कभी ज्यादा ग़म में डूब जाता है कभी ख़ुश हो कर भी लिखता है। मुझे भी इन्हीं चीज़ों ने लिखने को प्रेरित किया। इन सभी ग़ज़लों में कुछ बातें हकीक़त भी है और कुछ फ़साना भी है। ज्यादातर ग़ज़लें मुहब्बत-वफ़ा, हिज्र-विसाल से ताल्लुक रखती है जो कि मेरे उम्र के लेखको में आम बात है। अपने एहसासों के हिसाब से मैंने लफ़्ज़ों को ख़ूबसूरत ढंग से पेश करने की कोशिश की है। उम्मीद है मेरे कुछ शेर आपके हालातों से भी जुड़ सकेंगे।

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मूल रूप से बिहार के कैमूर जिले से ताल्लुक़ रखने वाले युवा हिन्दी लेखक अनिमेष कैमूरी पिछले दस सालों से परिवार के साथ गुरूग्राम में रहते हैं. अनिमेष कैमूरी अभी 20 वर्षीय युवा लेखक हैं. अनिमेष कैमूरी इस समय राजकीय महाविद्यालय सैक्टर-9 (गुरूग्राम) से बीकॉम तृतीय वर्ष की पढ़ाई कर रहे हैं. अनिमेष ने अपने नाम के पीछे 'कैमूरी' अपने जिले के नाम पे लगाया है. वैसे इनका पूरा नाम अनिमेष सिंह ठाकुर है.

Furqat Ke Lamhe

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