‘फॉर्मेशन ऑफ इण्डिया’ सिर्फ एक किताब नही है, यह एक आवाज़ है। वो आवाज़ जिसे लेखक उन लोगो तक पहुंचाना चाहता है जो ऊंची कुर्सियो पर बैठ तो जाते हैं लेकिन काम नही करते और परिणाम देश को भुगतना पडता है। यह किताब एक चेतावनी है। चेतावनी उन मीडिया-कर्मीयो को जो देश द्रोहियो के बचाव मे पत्रकारिता करते हैं। यह किताब एक प्रतिरोध है। प्रतिरोध, देश के विरूद्ध काम करने वाले मंत्रियो और राजनितिक पार्टियों के विरूद्ध..! यह किताब एक सोच है। एक ऐसी सोच जो देश को बेहतर बना सके।
धर्म हमेशा अच्छी बात ही सिखाता है, धर्म का काम है अच्छे इंसान बनाना। जिस धर्मे में अच्छे लोग ज्यादा है वह धर्म अच्छा है, जिस धर्मे के लोग आतंकवाद में विश्वास करते है और खूनखराबा करते है, उस धर्म और उस धर्म के ठेकेदारों को बदलने की जरूरत है।
अगर कोइ राजनितिक पार्टी देश के विरूद्ध काम करती है तो वो देश के लिये घातक है। ऐसी पार्टियों को सिर्फ हराना काफी नही है बल्कि उन पर्टियो का अस्तित्व खत्म करने के लिये देश के जनता को आगे आना चाहिये।
देश-द्रोहियो का समर्थन करना और उनके बचाव मे पत्रकारिता का उपयोग करना देश द्रोह के दायरे मे आना चाहिये है, ऐसे पत्रकारो को जेल भेजा जाना चाहिये।
लेखक वेद निषाद की पहली किताब ‘I LOST MY SOUL’ 1998 मे प्रकशित हुइ थी, जो काफी मशहूर हुइ। यह किताब उनके ही जीवन के सत्य घटना पर आधारित थी।
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पेशे से वास्तुविद् (आर्किटेक्ट - Architect) वरिष्ठ लेखक वेद निषाद का जन्म मुम्बई में हुआ था। मुम्बई में ही पले-बढ़े और प्रारम्भिक से लेकर स्नातक तक की शिक्षा भी यहीं से हासिल की है। वेद जी एक सफल लेखक होने के साथ-साथ जाने-माने आलोचक, शायर और प्रेरक वक्ता के रूप में पहचाने जाते हैं। एक आर्किटेक्ट वाली व्यस्त दिनचर्या होने के बावज़ूद भी लेखन से नाता नहीं तोड़ा। इनकी लिखी पहली अंग्रेज़ी किताब 'आई लॉस्ट माय सोल' (I Lost My Soul) काफ़ी मशहूर हुई थी। बचपन से ही खेलों की तरफ झुकाव के चलते मुम्बई के एक क्लब में बैडमिंटन खेलते हैं। वेद जी अपने नियमित लेखन में नये-नये प्रयोग करने में विश्वास रखते हैं। प्रस्तुत पुस्तक इनके द्वारा अग्रेज़ीं में लिखी गई किताब 'फार्मेशन ऑफ़ इंडिया' (FORMATION OF INDIA) का हिन्दी अनुवाद है। दोनों भाषाओं में पुस्तक का लेखन ख़ुद वेद जी ने ही पूरा किया है।
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