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आप जिस अंधी और अंतहीन दौड़ (ज़िन्दगी की जद्दोजहद) का हिस्सा थे वह तो कहीं ख़तम ही नहीं होती। इसलिये ज़रूरी है थोड़ा रुक के फलदार वृक्ष की तरह झुक के अपने अंतर्नाद (आंतरिक कलह) को शांत करना और खुद से बात करना। मैने जब खुद से बातें की तो पता चला कि ये जो भी कुछ मेरे साथ घटित हो रहा था वह इस देश के लाखों करोड़ों लोगों की व्यथा है। हर मुस्कराते चमचमाते चेहरे के पीछे एक ग़मकोश जीवनगाथा है। मेरी ये कवितायें इन्हीं गुमनाम चेहरों को सामने लाने की एक कोशिश है।

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लेखक डॉक्टर (मेजर) राजीव यादव एक शिशु रोग विशेषज्ञ और एक सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी हैं। वे वर्तमान में भारतीय रेलवे चिकित्सा सेवा के अधिकारी हैं और उत्तर रेलवे मंडल चिकित्सालय अम्बाला छावनी में मंडल चिकित्सा अधिकारी (शिशु रोग) के पद पर पदस्त हैं। लेखक मूलरूप से ईस्पात नगरी भिलाई के रेहने वाले हैं। सन् 2008 में रायपुर से एमबीबीएस की पढ़ाई पूर्ण करने के बाद आप भारतीय सेना चिकित्सा सेवा कोर (AMC) में आये। पांच साल देश सेवा की और 2017 में सशस्त्र सेना चिकित्सा महाविद्यालय (AFMC पुणे) से एम डी शिशु रोग की पढ़ाई पूरी की और तब से रेलवे में कार्यरत हैं। 

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