"फ़क़त मोहब्बत" नीरज की पहली किताब है। यह किताब कुछ दिनों या कुछ महीनों में नहीं लिखी गई है। मोहब्बत की पहली दस्तक से शुरू होकर - जब, जहाँ, जैसे भी प्रेम ने इन्हें छुआ तब, तहाँ, तैसे ही कविता हुई, नज़्म हुई, शेर कह दिया। कभी ख्वाबों में, कभी ख्यालों में, जब कभी किसी ने दो लफ्ज़ प्यार से बातें कर ली, जब किसी से दो पल के लिए जुड़ गए, जो किसी ने जरा प्यार से बातें कर ली, जब प्यार हुआ, जब मोहब्बत से सराबोर हुए, जब दिल टूटा, जब तनहा हुए, जब टूटे दिल को लेकर फिरते रहे, मोहब्बत जब फिर सामने आई, जब कभी यादों ने घेर लिया, जब शाम हुई, जब बारिश में भीगे, जब प्रकृति ने श्रृंगार किया, जब भी इश्क़ की बातें छिड़ी, और जब सामानांतर जिंदगियों ने प्रेम किया तो दिल मुस्कुराया और कविता हुई। और फिर कविता हुई। और फिर कविता हुई। यह किताब प्रेम में डूबी हुई उन सारी अनुभूतियों का लिखित दस्तावेज है। हर पन्ने पर नीरज ने दिल निकाल कर रख दिया है।
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