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“वर्षों बाद जमाल को एक महिला मिली, जिसने उससे कहा कि ‘आप मेरे सहयात्री बनेंगे’ वह तो यह सुनकर चौंक गया। फिर कुछ सोचने के बाद उसने ‘हाँ’ कहा। उससे पहले जमाल से किसी ने इस तरह से बात नहीं की थी और न ही इतनी हमदर्दी दिखाई थी। लेकिन पाँच साल की सड़कमाप जिंदगी बिताने के बाद एक सहयात्री ने कैसे उसकी दुनिया बदल दी ? यह कुछ ऐसा है जैसे “एक नजर में जीवन बदल जाता है।”

‘आपने मुझे अपनी इच्छा से अपना सहयात्री बनाया, इसका मतलब यह नहीं है आप मेरे जीवन की मालिक हो गईं या आप अपने विचारों को मुझ पर थोपेंगी। इससे पहले कुछ और बात बिगड़े, मैं आपसे विदा लेता हूँ।’

संयोग से उसका बैग उसके पास था । ‘लेकिन आपके कपड़े होटल में हैं’ मैकेंजी ने कहा ।

‘मुझे जो चाहिए, वह मेरे पास है। कपड़ों को आप दान कर देना’ जमाल ने कहा। मैकेंजी ने जमाल को रोका नहीं और उसे जाने दिया। वह भी नहीं चाहती थीं कि अच्छे रिश्ते को नोकझोंक पर खत्म करें। बस मैकेंजी जमाल को देखती रहीं जबतक वह दाईं ओर न मुड़ गया।  

 लेखन यात्रा को मैंने यानि अभिषेक ने तीन साल पहले शुरू किया था जो अब मेरी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है लेकिन तीन साल पहले की बात करें तो मैं कविताएं लिखता था। हालांकि कविताएं आज भी लिखता हूँ। पढ़ाई में मैंने बी.कॉम किया है और एम.कॉम इसी वर्ष में पूरा किया।  

Ek Shaam Ghatnaon Ke Naam

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