'ज़िन्दगी' महज़ एक शब्द है मगर यह कोई किताब से कम नहीं है। आने वाला कल कोरा कागज़ है जिसमें हम आज के किस्से लिखते है। कागज़ और कलम का रिश्ता बेहद सुंदर है।
"एक सफ़र: ज़िन्दगी" के जरिए 'गुलशन कुमार' ने ज़िन्दगी के कुछ किस्सों को अपनी कविता का प्रारूप दिया है। जिंदगी एक सुंदर सफ़र है जिसमें गम भी है और ख़ुशी भी है। उतार-चढ़ाव से भरा यह सफ़र बहुत सुहाना है। कुछ छोटी-छोटी बातें ख़ास है मगर आज की भाग दौड़ में कही खो सी गयी हैं। इस अनन्त की दौड़ में गुलशन कुमार ने ज़िन्दगी के कुछ पहलुओं को अपने शब्दों में पिरोया है।
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युवा हिन्दी लेखक गुलशन कुमार का जन्म 3 जुलाई 1999 को एक मध्यवर्गीय राजस्थानी परिवार में हुआ। कुमार की प्राथमिक शिक्षा राजस्थान से ही हुई, बाद में हाई स्कूल की शिक्षा के देहरादून चले गए। हाई स्कूल विज्ञान से करने के बाद ये आगे की पढ़ाई के लिए चंडीगढ़ गए। वहाँ से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते हुए, किसी कारणवश इन्होंने वह कॉलेज छोड़ दिया और हिंदी से स्नातकोत्तर की शिक्षा लेने का फ़ैसला लिया। अब वह दिल्ली विश्वविद्यालय के देशबन्धु कॉलेज में अध्ययनरत हैं। गुलशन कुमार लेखन के साथ-साथ सिनेमा जगत में भी विशेष रुचि रखते हैं। पढ़ाई के साथ ये स्वतंत्र फ़िल्म निर्माता भी हैं। ये कविताओं के अलावा फिल्म की स्क्रिप्ट भी बखूबी लिखते है। इनकी लिखी हुई कृतियाँ हिन्दी व अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित हो चुकी हैं।
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