ये पुस्तक लगभग तीन दशकों का एक लंबा सफ़र है जिसमें दादा के कंधे पर बैठ कर खेत देखने से लेकर, अपने बच्चे को कंधे पर बिठाकर चाँद दिखाने तक के अनुभव, कविताओं के रूप में लिखे गए हैं। इन कविताओं में पिता की साइकल पर बैठकर स्कूल जाने का कौतुक है, माता-पिता व घर के अन्य बुज़ुर्गों से सुनी कहानियों का सार है, खेतों में जाकर तोड़े गए गन्ने की मिठास है, सुबह तीन बजे बाग में जाकर बीने गए देसी आमों का रस है, निष्पाप प्रेम की फुहार है, गाँव से नगर और नगर से महानगर में पलायन का संघर्ष और पूरी तरह से नाउम्मीद हो चुके जीवन के दुबारा खड़े होने की दास्तान, सब मिलेगा यहाँ, पूरी ज़िन्दगी मिलेगी, चंद कविताओं के रूप में।
--
आदित्य का जन्म उत्तर प्रदेश के हरदोई जनपद में हुआ था। अपने शहर से ही गणित व रसायन विज्ञान विषयों में बी॰एस॰सी॰ करने के उपरांत इन्होंने एम॰बी॰ए किया एवं प्रबंधन की शिक्षा ग्रहण की | एम॰बी॰ए के दौरान ही इन्होंने दस से अधिक शोधपत्र विभिन्न प्रबंधन शिक्षण संस्थानों में प्रस्तुत किए | शिक्षा पूरी करने के पश्चात इन्होंने पाँच वर्ष से अधिक समय तक निजी क्षेत्र की प्रतिष्ठित राष्ट्रीय व बहुराष्ट्रीय कंपनियों में कार्य किया व वर्तमान में भारत सरकार की महारत्न कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड में बतौर कार्मिक/मानव संसाधन अधिकारी अपनी सेवाएँ दे रहे हैं | बचपन से ही इनकी, अपनी मातृभाषा हिन्दी को पढ़ने व इसी में कवितायें व कहानियाँ लिखने में विशेष रुचि रही है | इसमें इनके परिजनों, गुरुजनों व मित्रगणों का हमेशा प्रोत्साहन प्राप्त हुआ है|
top of page
SKU: RM10236542
₹139.00Price
bottom of page