विनय कुमार जी की छठवीं पुस्तक “दिल से” के लिए तैयार नज़्म और गज़लों का संग्रह पढ़ने को मिला। तराशी हुई जुबां में दुनिया के हर कोने को झाँकती हुई नज़्म और ग़ज़ल, किताब को सोलह शृंगारों से सजाए हुए है। उर्दू की लोच-लचक सिर्फ इश्क़िया अंदाज ही बयान नहीं करती, जीवन के संघर्ष और गिरती हुई ईमानदारी को आईना भी दिखाती है, यह बात विनय जी ने अपनी किताब “दिल से” में सिद्ध करने की कोशिश की है।
Dil Se
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