मेरा नाम निकेता राय है। मेरे पिता का नाम श्री राजेश राय हैं, जिन्हे मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रेरणास्रोत मानती हूँ। मेरी माता का नाम श्रीमती नीलम राय है, जिनका स्नेह और आशीर्वाद मेरे जीवन को हर कठिनाई से सुरक्षित रखता है। मेरा संबंध उत्तर प्रदेश के चन्दौली जिले के ग्राम बैराट से है, मेरी प्रारंभिक शिक्षा यही के एक विद्यालय बाबा कीनाराम विद्यालय से हुई। मैंने वर्ष 2018 में अपने दादाजी श्री रामराज राज के स्नेहपूर्ण सहयोग से हिंदू विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। बचपन से ही विचारों की दुनिया में खोए रहना मेरा शौक रहा है। इन्हीं विचारों की संलग्नता से आयु के 22 वर्ष में यह पुस्तक 'दिल की जुबान: इश्क' लिख पाई हूँ,जो समाज के हर स्वरूप का बड़ी अल्हड़ता से व्याख्या करती है, यह आधुनिक भी है, आध्यात्म भी है; प्राच्य भी है, और प्रश्चात्य भी है। इसमें मखौल भी है, गाम्भीर्य भी है, उत्तम कोटि का प्रेम भी है, सम्मान भी है, अतः विविधताओं को समेटे एक सुंदर साहित्यिक प्रसून है।
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