यह पुस्तक "ध्यान : यात्रा अनंत की" साधक की आंतरिक यात्रा का सजीव मानचित्र है... जहाँ ध्यान केवल तकनीक नहीं होती है बल्कि आत्मा की अनंत यात्रा का प्रारंभ बन जाता है... इसमें ध्यान के विविध आयामों, गुरु की भूमिका, साधक के रूपांतरण और आत्मसाक्षात्कार की प्रक्रिया का गहन विवेचन किया गया है... यह पुस्तक साधक को निर्विचार चित्त से आगे बढ़ाकर उस बिंदु तक ले जाती है जहाँ ध्यान, भक्ति और ब्रह्म एकाकार हो जाते हैं... यह उन साधकों के लिए है जो ध्यान को मनुष्य जीवन की सार्थकता और अनंत यात्रा का मार्ग मानते हैं।
Dhyan Yatra Anant Ki
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