वाराणसी से ताल्लुक रखने वाले युवा हिन्दी लेखक मनीष कुमार पाण्डेय ने इंटरमीडिएट विज्ञान(बायोलॉजी), ग्रेजुएशन अर्थशास्त्र(इकोनॉमिक्स) और पोस्ट ग्रेजुएशन इतिहास(हिस्ट्री) से किया है। बाद मैं नौकरी के दौरान एम.बी.ए.(एच.आर.) भी कम्लीट किया और पढ़ाई का शौक होने के कारण इन्होंने लॉ (एल.एल.बी.) की भी पढ़ाई की है। 2007 में पहली नौकरी आई.सी.आई.सी.आई.(ICICI) बैंक में की, दूसरी नौकरी टाटा के सरकारी प्रोजेक्ट में, जो कि भारत सरकार के विदेश मंत्रालय से जुड़ा हुआ था। जिसके अंतर्गत ‘पासपोर्ट ऑफिस’ में 2011 से 2014 तक कार्यरत रहे और तीसरी नौकरी इन्होंने 2014 से अब तक(कुछ दिन पहले तक) ‘हिंडालको इंडस्ट्रीज लिमिटेड’ में की। चूँकि पाण्डेय जी एक इतिहास के विद्यार्थी रहे हैं और इन्हें इतिहास, विज्ञान, धर्म, पुराण और साहित्य को पढ़ने, उसके बारे में सोचने-विचारने और उसका अन्वेषण कर लिखने में आनंद आता है सो इन्होंने एक किताब लिख डाली, जिसका शीर्षक ‘देवगिरि का अंतिम राजा’ है। यह इतिहास की एक मार्मिक घटना है जिसे इन्होंने एक कथा के रूप में व्यक्त किया है। यह दूसरी पुस्तक है जो भारत के एक महान आदिवासी आंदोलन मुंडा विद्रोह के अगुवा और नायक बिरसा मुंडा पर आधारित है।
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