इस किताब में बिहार की रूहानी परंपराओं और सूफ़ी सिलसिलों पर गहरे शोध के साथ प्रकाश डाला गया है। लेखक ने बिहार में सूफ़ी संतों के जीवन, उनकी शिक्षाओं, और उनके योगदान का विश्लेषण किया है, जिससे पाठक सूफ़ीवाद की अनकही दास्तान को जान सकें। किताब में प्रसिद्ध सूफ़ी संतों के साथ-साथ कुछ भूले–बिसरे संतों का भी उल्लेख है, जिन्होंने बिहार की धार्मिक और सांस्कृतिक धारा को प्रभावित किया। किताब में सूफ़ीवाद की विविधता, इतिहास और मौजूदा समय में इसके महत्व को बताया गया है। इसके अतिरिक्त, “बिहार और सूफ़ीवाद” में मनक़बत भी शामिल की गई है, जो इन संतों के जीवन, अनुभवों और उनके कार्य को शायराना अंदाज़ में बयां करती है। पुस्तक में कई जानकार और विशेषज्ञों द्वारा दी गई समीक्षाएं भी है, जो इसे एक विश्वसनीय और शोधपूर्ण कृति बनाती हैं। यह किताब उन सभी के लिए है जो सूफ़ीवाद में रुचि रखते हैं, और विशेष रूप से बिहार की सूफ़ी परंपरा को समझने और जानने के इच्छुक हैं। “बिहार और सूफ़ीवाद” एक महत्वपूर्ण संदर्भ ग्रंथ है, जो सूफ़ीवाद के इतिहास और भव्यता को दर्ज करता है।
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