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भारतीय संस्कृति ने सम्पूर्ण विश्व को सभ्यता का पाठ पढ़ाया। संस्कृति की अभिव्यक्ति का माध्यम साहित्य है जिसके द्वारा सदियों से समाज  में चेतना एवं ज्ञान का प्रसारण होता रहा है।  भारतीय साहित्य की प्रारंभिक कृतियां लोक साहित्य के रूप में जानी जाती थी। संस्कृत साहित्य का प्रारम्भ  ५५०० से ५२०० ईसा  पूर्व  संकलित ऋग्वेद से होती है जो पवित्र भजनों का एक संकलन है । भारत में ऋग्वेद के समय से ही कविता के साथ साथ गद्य रचनाओं की भी मजबूत परंपरा है ।

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डॉ. (श्रीमती) कुसुम डोबरियाल का जन्म स्थान पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड) है। डॉक्टर कुसुम डोबरियाल ने सन १९८४ में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की तथा सन १९८९ में राष्ट्रीय संस्कृत शिक्षा संस्थान द्वारा पोषित छात्रवृत्ति पाकर हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से डी० फिल० की उपाधि प्राप्त की ।  डॉक्टर कुसुम डोबरियाल सन १९९२ से निरंतर इसी विश्वविद्द्यालय में अध्यापन कार्य कर रही हैं तथा सन २०१९ में उपाचार्य के पद पर प्रोन्नत हुई हैं।  आप संस्कृत साहित्य, विशेषतः पुराणों  के अध्ययन पर शोध कार्य कर रही हैं । आपने  ३ शोध छात्रों को  पी-एच ० डी ० की उपाधि हेतु निर्देशित किया है। वर्तमान में गढ़वाल विश्वविद्यालय के पौड़ी परिसर में विभागाध्यक्ष के रूप में कार्य रत हैं ।

 

Bhartiya Sanskriti, Sahitya Evam Paramparayen

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