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‘‘भारत में देशज इतिहास एवं पुरातत्त्व: स्रोत एवं इतिहास’’ शीर्षक से अनुवादित यह पुस्तक भारत में पुरातत्त्व, नृजातीय अध्ययन, झूम खेती व अन्य सभी प्रकार के देशज इतिहास की व्याख्याओं का एक समेकित और मौलिक अध्ययन है। यह पुस्तक भारतीय समाज विज्ञान के लेखन में देशज इतिहास व पुरातत्त्व की नई संभावनाओं को तलासती है। मूल रूप से यह पुस्तक प्राथमिक स्रोत तथा सर्वेक्षण के विवरणों पर आधारित है। यह पुस्तक पुरातत्त्व और देशज इतिहास में रूचि रखने वाले हिन्दी भाषी पाठकों के लिए महत्वपूर्ण व उपयोगी है। पुस्तक में उपाश्रित वर्गीय इतिहास व पुरातात्विक स्रोतों तथा उनकी सम्भावनाओं के सहारे इतिहास लेखन के नये आयामो, रणनीतियों पर बात की गई है। इस पुस्तक के बहाने यह जानने का प्रयास किया गया है कि भारत में उपाश्रित प्राचीन इतिहास का प्रारूप क्या हो सकता है? 

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अजय प्रताप काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी के सामाजिक विज्ञान संकाय में इतिहास विषय के प्रोफेसर एवं पूर्व विभागाध्यक्ष हैं। उन्होंने सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में बीए(ऑनर्स), पुणे विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति और पुरातत्व विभाग से एम.ए., कैंब्रिज विश्वविद्यालय से पुरातत्व में एमफिल और पीएचडी अर्जित की है। वह प्राचीन भारत, भारत का जनजातीय इतिहास अनुसंधान पद्धति, प्राचीन भारत में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, उत्तर और दक्षिण भारत का इतिहास 600 से 1200 ईस्वी जैसे पाठ्यक्रमों को स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर पढ़ाते हैं। वह “द हो एण्ड एक्स: एन एथनोहिस्ट्री आफ़ शिफ्टिंग कल्टीवेशन इन ईस्टर्न इंडिया” 2000 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस तथा 2016 में “रॉक आर्ट ऑफ द विंध्याज: एन आर्कियोलॉजिकल सर्वे” आर्कियोप्रेस, ऑक्सफोर्ड के लेखक हैं।

 

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नाम : अनुराधा सिंह जन्म : 16जून, 1976, वाराणसी, (उ.प्र.) । शिक्षा : एम.ए., पीएच.डी. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय व महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ । शोध-गतिविधियाँ : आदिवासी इतिहास लेखन व क्षेत्रीय इतिहास लेखन (काशी-विषयक) में संलग्न । सम्प्रति: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में एसोसिएट प्रोफ़ेसर के पद पर कार्यरत ।

Bharat Mein Deshaj Itihas Evam Puratatva

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