कुछ एहसास ऐसे होते हैं, जो हम सभी में छुपे बैठे होते हैं। लेकिन उनकी अनुभूति किसी ख़ास क्षण, खास व्यक्ति से मिल कर होती है। मीरा और मुदित की कहानी शादी के प्रस्ताव से आरंभ होती है। मीरा मुदित से मिलते ही उसके प्यार में खो जाती है। सपने देखने लगती है, मुदित के साथ अपना सम्पूर्ण जीवन व्यतीत करने के। कैसे एक साधारण सी लड़की प्रेम के वशीभूत होकर, वो हर कार्य करने को निकल पड़ती है, जिसकी कल्पना कभी उसने स्वयं भी नहीं की थी। तमाम उतार-चढ़ाव के साथ आगे बढ़ती कहानी। ये सफ़र है, एक छोटी सी मुलाकात से शुरू हुई विशुद्ध प्रेम कहानी का।अपेक्षाओं और सामाजिक वास्तविकता के बीच भेद को समझने की मीरा की जद्दोजहद। समाज की रूढ़िवादी सोच, एक लड़की के प्रति हमारे बूढ़े होते समाज की धारणा को दर्शाती कहानी। प्रेम के उन्माद एवं पराकाष्ठा को दर्शाती कहानी। ये प्रश्न करती कहानी कि क्या जीवन में प्रेम महत्वपूर्ण है, या समाज या फिर कुछ और ही। वास्तव में प्रेम है क्या? ये प्रश्न उठाती कहानी। स्वयं और समाज दोनों को समझने की कहानी। सरल शब्दों में लिखी, मीरा की कहानी।
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इस कहानी की लेखिका गरिमा श्रीवास्तव है। ये मूलतः उत्तराखंड के खुबसूरत शहर देहरादून की रहने वाली हैं। वर्तमान में वह दिल्ली में एक सरकारी संस्थान में कार्यरत हैं। बचपन से ही उनको कहानियां और कविताएं पढ़ने, और लिखने का शौक है। वह एक प्रकृति प्रेमी है। वह अपना समय प्रकृति की सुंदरता के साथ बिताना पसंद करती है। वह खुद को और इंसानों में छिपी भावनाओं को तलाशने के लिए लिखती है। वे प्यार और विश्वास की शक्ति में आस्था रखती है। इनकी रचनाएं विभिन्न सांझा संकलनों शिव शक्ति, दोस्ती, जिंदगी का सफर, मां दुर्गा, अस्तित्व, इंतजार, गर्भवती, किताबें, आफ्टरलाइफ, आदि में प्रकाशित हो चुकी हैं। इन्होंने बतौर कलाकार भी कई नाटकों में भी अभिनय किया है। जिनमे दिविक रमेश जी द्वारा रचित “खंड खंड अग्नि” प्रमुख है। इनका मानना है की, हम जिंदगी को रूपरेखा बना कर नही जी सकते, इसलिए जिंदगी हमको उपहार में जो देती जाए, उसी को गले से लगाकर ,उसको बेहतरीन बनाने के लिए हमको हर पल प्रयत्नशील रहना चाहिए।
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