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किसी ने कहा कि मैंने अच्छी कविता लिखी है तो मैं कहूँगी उस अच्छी कविता ने मुझे चुना है। मैं कविता नहीं लिखती। कविता तो मेरे अंदर रहती है। कभी-कभी बाहर आने की ज़िद पे अड़ जाती है। तो जब जब कविता ने ज़िद की, मैंने उसे स्याही का रास्ता दिया। उसी रास्ते पर मिली कविताओं कों बटोर कर मैंने आपके सामने रखा है। जो पसंद ना आए वो मेरा, जो पसंद आया वो कविता का। क्योंकि चाहे कुछ भी हो, कविता तो रहेगी। और अगर कविता है तो मैं हूँ। तो मुझे मिला एक बारिश का पन्ना, लफ़्ज़ों में भीगा हुआ।

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ईश्वरी अतुल चार साल की उम्र से कविताएँ लिखती हैं। मराठी में कविताएँ लिखने के साथ साथ उन्होंने हिन्दी में लिखना शुरू किया और ये उनका हिन्दी कविताओं का पहला संग्रह है। ईश्वरी के दो मराठी कविताओं के संग्रह इससे पहले प्रसिद्ध हो चुके हैं। ईश्वरी कहानियाँ, स्क्रिप्ट आदि लेखन भी करती हैं पर कविताओं के द्वारा व्यक्त होना उनकी ख़ासियत है।

    Barish Ka Ek Panna

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