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बैठे बैठे यकायक मचल गया

मन पे बस क्या, बस चल गया ।

 

'बैठे बैठे यकायक' वो सफ़र है जिसकी शुरुआत एक मुक़म्मल शे'र कहने की ललक से हुई थी । दो लयबद्ध पंक्तियों में एक कहानी पेश करने के हुनर को शे'र कहते हैं । एक शे'र कह देना बहुत आसान है तो बेहद मुश्किल भी । कोई भी थोड़ी सी जद्दो-

जहद करके तुक़बंदी और कुछ नियमों की मदद से शे'र कह सकता है । लेकिन शे'र की उन दो पंक्तियोँ में दिल को छू लेने वाली कोई ख़ूबसूरत कहानी कह देना आसान बात नहीं । और इस सिलसिले को शे'र दर शे'र क़ायम रखकर गज़लें लिखना लोहे के चने चबाने से कम नहीं । अपनी पहली गज़लों की इस किताब में मैनें शे'रों के हवाले से रोचक और ख़ूबसूरत कहानियाँ कहने का भरसक प्रयास किया है । उम्मीद करता हूँ आपको मेरे प्रयास में इमानदारी दिखेगी ।

 

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अतुल कपूर श्री राम कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स, दिल्ली (वर्ष 2000) से स्नातक हैं । वर्ष 2010 में इनकी पहली इंग्लिश नॉवेल 'इन्क्रेडिबल हाई' ('Incredible High') प्रकाशित हुई थी । इनकी इंग्लिश एवम् हिंदी भाषाओं में कविताएं और लेख वेब पत्रिकाओं में प्राय: प्रकाशित होते रहते हैं । लिखने के अतिरिक्त इनकी योग एवम् संस्कृत भाषा में विशेष रुचि है और दोनों विषयों पर भविष्य में पुस्तक लिखने की अभिलाषा रखते हैं । इनको गज़लें लिखने का शौक़ तक़रीबन दो साल पहले यकायक हुआ था जो रफ़्ता रफ़्ता परवान चढ़ता चला गया और फिर इक रोज़ उसने किताब की शक़्ल ले ली । 'बैठे बैठे यकायक' उनकी गज़लों (चंद कविताएं और नज़्में भी) का पहला वॉल्यूम है ।।

 

Baithe-Baithe Yakayak

SKU: RM456236
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