"कोरोना" महामारी इस सदी कि सबसे बड़ी त्रासदी रही है। इस महामारी के दौरान बहुत से लोगों ने अपनों को तड़पते और मरते देखा है। इतिहास गवाह है कि, दुनिया में जब भी कोई भी महामारी या परेशानी विकराल रुप ले लेती है तो, सारे इंसान एकजुट होकर अपनी इंसानियत, ईमान और विज्ञान के भरोसे उसका मुकाबला करते हैं। लेकिन इस "कोरोना" महामारी के दौरान "अरल" ने इंसानों के साथ-साथ इंसानियत, ईमान और विज्ञान को भी मरते हुए देखा है। किसी को मरता हुआ देख, चाहते हुए भी कुछ ना कर पाने की असहाय और दयनीय स्थिति बहुत ही हृदय-विदारक होती है। “…और विज्ञान मर गया" इसी हृदय-विदारक असहाय स्थिति का मार्मिक संकलन है।
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इस कविता संग्रह के लेखक डॉ. अच्छेलाल पासी (MBBS, MD) जी एक सार्वजनिक आरोग्य विशेषज्ञ (Public Health Specialist) हैं और भारत सरकार के अधीन कार्यरत हैं। “डॉ अच्छेलाल पासी” जी का जन्म, पालन- पोषण एवं शिक्षा-दिक्षा मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ है। आप ने एम. बी. बी. एस. और एम. डी. की शिक्षा सेठ जी. एस. मेडिकल कॉलेज एंड के. ई. एम. हास्पिटल, मुंबई से पूरी की है। आप ने स्वास्थ्य सेवाओं के साथ-साथ हास्पिटल एवं मानव संसाधन प्रबंधन में भी डिप्लोमा किया है। आप को WHO, UNICEF और ICMR के साथ भी काम करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। आप एक निष्ठावान कर्मचारी एवं मानव सेवा के लिए सदैव तत्पर एक कुशल व्यवस्थापक होने के साथ-साथ एक कोमल हृदय एवं कवि भी हैं।
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