“जब एक फूल अपने आनंद में खिलता है, तो परिणाम स्वरूप उसकी सुगंध पूरेअस्तित्व में लीन हो जाती है , इसी तरह मनुष्य भी खिलने को आया है। बस यही एक स्मरण, छोटी-छोटी पंक्तियों के माध्यम से करवाने का प्रेमपूर्वक प्रयास है। खिलो, जियो, उत्सव मनाओ और सुगंध की तरह लीन हो जाओ।”
Ashtakamal - Maatra Drishta
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