अनकहा वादा मानव मन की आंतरिक यात्रा है, जो प्रेम की तीव्रता परिवार की आत्मीयता और मानव मूल्यों को बचाए रखने की वकालत करती है। प्रेम इस पुस्तक का केंद्रीय भाव है चाहे वह प्रियतम के प्रति अनुराग हो माता पिता के प्रति श्रद्धा हो, या स्वयं के प्रति आत्म स्वीकृति का भाव है। ये भाव कभी कोमल और शांत है तो कभी बेचैनी पैदा करते है। प्रेम यहा केवल रोमांटिक भावना तक सीमित नहीं बल्कि वह व्यापक अर्थ के लिए हुआ है जो मानवता को एक सून्र में पिरोता है।
Ankaha Vada
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