बच्चे मन के सच्चे होते हैं। उनके मानस-पटल पर जो प्रभाव पड़ता है, जीवनभर रहता है। ‘अनछुए पहलू’ की दस कहानियों में कौतूहल है, जीवन की सही दिशा है, सेवा करने की प्रेरणा है और जीवन के सत्य से साक्षात्कार होता है। ये कहानियाँ सिर्फ बच्चों के लिए ही नहीं, बड़े और बुजुर्गों के लिए भी पठनीय हैं। - डी. एन. श्रीनाथ (पुरस्कार प्राप्त लेखक-अनुवाद)
आज कम्प्यूटर के इस युग में किसको कहाँ समय रह गया है। आज के मानव की दुनिया तो मोबाइल और इन्टरनेट तक ही सीमित हो गयी है। कहाँ गयीं दादी-नानी की कहानियाँ! यह तो एक अजूबा बनकर रह गयी हैं। अब वह समय नहीं है। जहाँ बच्चे बैठकर या लेटकर कहानियाँ सुना करते थे। - पुष्पा शर्मा
Anchhuye Pahlu
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