top of page

कुछ लोग सोचते हैं, कुछ लोग कह जाते हैं, और कुछ लोग सोचकर जो कह नहीं पाते, उसे लिख डालते हैं। इस लिहाज़ से मेरी गिनती आख़री किस्म के इंसानों में होनी चाहिए। मेरी आँखें बहुत घूमती हैं, न जाने कहाँ-कहाँ पहुँच जाती हैं। फिर थक जाती हैं। मैंने ३४ साल के जीवन में, जो कुछ भी देखा, सुना, जिया, और महसूस किया, उन सब की अहमियत को इन पन्नों में लपेट कर आपके हाथों में दे रहा हूँ। कभी-कभी लगता है, कि कहीं तो मैं क़ैद हूँ और इन पन्नों के ज़रिये, रिहाई पाने की कोशिश कर रहा हूँ। अब आपको ये तय करना है, कि मेरी रिहाई होने को है, या शायद, आपके दिलों में क़ैद होने को। मेरी ज़िन्दगी के आज तक के सफर से संजोयी हुई मिटटी है यह किताब।

---

 

३४ साल का यहाँ तक का सफ़र, इस धरती पर अपने परिवार और दोस्तों को कभी हँसाते और कभी रुलाते हुए निकाला है शितिज ने। दिल्ली में पले बढ़े पर नज़र समक्ष संसार पर रखते हुए, हर पल को एक एहसास की तरह समेटने की कोशिश में लगे रहे। बचपन से स्कूल में, फिर इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट कॉलेज में खूब थियेटर करते रहे और अपनी अदाकारिता से लोगों के दिल तक पहुँचने की कोशिश में जुटे रहे। 2009 में दिल्ली के नेताजी सुभाष प्रोद्योगिकी संस्थान से इंजीनियरिंग की डिग्री के बाद, होंडा टू वीलर्स कंपनी में कार्यरत रहे और फिर मुद्रा संचार संस्थान की ओर कदम उठाए २०११ में। २०१३ में मैनेजमेंट की डिग्री के बाद से कॉर्पोरेट जगत में मार्केटिंग में अपना लोहा मनवाने में लगे हैं। लिखना शितिज के लिए उतना ही ज़रूरी है, जितना कि साँस लेना। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि लिखते-लिखते साँस चली जाती है। पर इससे यही ज्ञात होता है कि लिखने की अहमियत उनके जीवन में सर्वोत्तम है।

Ahmiyat

SKU: RM145865
₹139.00Price
  •  

bottom of page