लंबे समय से मेरे मन और मस्तिष्क को झ़कझोरती हुई कुछ वास्तविक घटनाओं पर आधारित मेरा उपन्यास “अधूरे या पूरे...?” आप सभी सुधि पाठकों को समर्पित है।
अलग-अलग समय व स्थान पर घटित घटनाओं को जोड़कर उन्हें कथारूप देते समय कल्पनाओं का सहारा जरूर लिया गया है लेकिन लेखन की संपूर्ण प्रक्रिया के दौरान मैंने अपने पैर ज़मीन पर ही जमाए रखे हैं। कोशिश की है कि उपन्यास को पढ़ते समय वर्णित घटनाएं, पात्र व परिवेश परिचित से लगे। प्रत्येक आयु वर्ग के पाठकों व उनके पास उपलब्ध समय को ध्यान में रखते हुए कम शब्दों में अधिक बात कहने का प्रयास भी किया गया है। अतः पुस्तक का आकार जानबूझकर इतना ही रखा गया है कि सिर्फ ढाई-तीन घंटे की अवधि में सुविधा पूर्वक पढ़ी जा सके।
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विजेंद्र सिंह यादव (एम.ए, बी.एड, एम.बी.ए.) अभिरुचि- कविता, कहानी, गीत व भजन लेखन के साथ-साथ समाज सेवा तथा विकासोंमुखी जन-जागरण में सहयोग। कार्यक्षेत्र- हरियाणा सरकार के शिक्षा विभाग में प्राध्यापक। गाँव-देहात की पृष्ठभूमि वाले मध्यमवर्गीय सैनिक परिवार में 16 सितंबर 1980 को जन्मे विजेन्द्र सिंह यादव बचपन से ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी रहे हैं। छात्र जीवन से ही लेखन में इनकी गहरी अभिरुचि रही है। कक्षा आठ में अध्ययनरत रहते हुए इन्होंने अपनी पहली रचना 'हरियाणा के दर्शनीय स्थान' के नाम से एक कविता के रूप में की थी। तब से लेकर आज तक इन्होंने 150 के आसपास कविताएँ,कहानियाँ,गीत,गजल एवं भजन लिखे हैं। जो समय समय पर स्वतंत्र रूप से विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं। अपने अन्तर्मन के भावों को व्यक्त करते हुए लंबे समय से यूट्यूब पर भी सक्रिय हैं लेकिन एक उपन्यासकार के तौर पर 'अधूरे या पूरे' इनकी प्रथम प्रकाशित रचना है।
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