ज़िन्दगी के सफ़र में ना जाने हम कितने अंजान लोगों से मिलते हैं और उन अंजान लोगों में से कुछ लोग जाने-पहचाने बनते हैं। उन जाने-पहचाने लोगों में से कुछ लोग ज़िन्दगी से दूर चले जाते हैं और कुछ लोग अपने बनकर रह जाते हैं। अभी तो ज़िन्दगी के सफ़र में ना जाने कितने अंजाने लोगों से मिलना बाकी है और उन अंजान लोगों में से कुछ लोग जाने-पहचाने बनकर, अपने बनकर रह जाएँगे और कुछ लोग जाने-पहचाने होकर भी उनका अंजान हो जाना बाकी है।
Aaj Fir Teri Yaad Aayi Hai...
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