रघु का जीवन शून्य से शिखर की यात्रा है,इस यात्रा में आने वाले हर पड़ाव पाठक के मन को उद्वेलित व प्रेरित करते है।
- Anand Kumar Singh, IAS (UPSC 2020)
रघु के चरित्र द्वारा यह उपन्यास भारत और इंडिया के फ़र्क़, शहरी प्रेम की उपयोगितावादी दृष्टि, बेरोजगारी, छात्र जीवन का भावनात्मक संघर्ष आदि के जटिल यथार्थ को बड़े मनोरंजक एवं व्यंग्यात्मक रूप में रेखांकित करती है। रघु के जिजीविषा को वर्तमान युवा वर्ग महसूस कर सकता है। आज के गुम्फित यथार्थ को समाज के सामने लाने के लिए लेखक ...... को बहुत बहुत धन्यवाद !!
- Vikash Senthiya (Rank - 642, UPSC 2020)
रघु का जीवन शून्य से शिखर की यात्रा है, इस यात्रा में आने वाले हर पड़ाव पाठक के मन को उद्वेलित व प्रेरित करते हैं। बेहतरीन ..सटीक कसी हुई भाषा। बेहद सरल पर बेहद उमदा.. ग्रामीण परिवेश से दिल्ली आके IAS बनने तक के संघर्ष को लेखक ने बेहद खूबसूरती से लिखा है।
- जया, PCS Officer Bihar
रघु के संघर्ष की गाथा को लिख कर अनेक युवाओं को प्रेरित करने का काम किया है लेखक ने, मैं लेखक चंदन कुमार को बधाई देता हूँ एक अद्भुत रचना के लिए।
- दीपक कुमार, IDAS Officer (UPSC,2019)
शुरू से लेकर अब तक कथा साहित्य न जाने कितने मोड़ों से होकर गुजरा है । प्रत्येक दौर में कथा साहित्य एक नए शिल्प और नए कलेवर के साथ प्रस्तुत हुआ है । आदरणीय चंदन जी की यह रचना आज के भारत में ग्रामीण विस्थापन को दर्शाती है। समाज शास्त्री अक्सर यह मानते हैं कि शहरों में जाकर बसना ग्रामीणों के मन में बैठे सपने का परिणाम होता है। इस उपन्यास की कथा पूर्वी भारत के लाखों-करोड़ों उन विद्यार्थियों का प्रतिनिधित्व करती है जो भविष्य के सपने लिए महानगरों में आते हैं ,कई प्रकार की यातना और पीड़ा झेलते हैं और अंततः या तो कुछ हासिल करते हैं या फिर गुमनामी के अंधेरे में खो जाते हैं। रघुआ से साहेब रघु बनना आसान नहीं। यह कथा जीवटता और संघर्ष दोनों के तालमेल के साथ आज की पीढ़ी को प्रेरणा देती है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि पाठक इस रचना को अपार स्नेह से सिंचित करेंगे और भाई चंदन जी की रचनाशीलता प्रकाशित होती रहेगी ।- अरविंद मिश्र (संस्थापक, साधना आईएएस )
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