"यह कविता संग्रह प्रेम के अल्हड़पन और मासूमियत को संजोते हुए अपनी बात कहता है। कविता के बहाव के साथ कवि खुद भी समझता है कि वो जिसे व्यक्तिगत समझता है वो उतना भी व्यक्तिगत नहीं है। कुछ कुछ कही कही पीड़ा का अनुवाद होते जाता है और अपनी ही पीड़ा से पूछ लेता है, 'क्या वो तुम थी?'। असल में अपनी प्रेरणा से पूछ रहा है, जो आपने भी कभी पूछा होगा।"
Kya Vo Tum Thi?
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