संसार के महान पुरुषों के कई ऐसे उदाहरण आपको मिल जाएँगे जिन्होंने सिर्फ सोचा, उस सोच के अनुरूप कार्य किया और मनचाही मंज़िल उन्हें प्राप्त हो गई। लोगों के मन में विचार आता है कि वह अलग होंगे, उनकी बुद्धिमत्ता अलग होगी, परंतु यदि उनके जीवनी में जाकर झाँकें तो पता चलता है कि उनके सामने कई विपरीत परिस्थितियाँ उत्पन्न हुई फिर भी वह सफल हुए। ऐसी क्या अलग चीज़ थी जिसने उन्हें सबसे अलग किया और सफलता की ख़ुशी के मुक़ाम पर बिठा दिया।
यह पुस्तक उन पाठकों के लिए जो वर्तमान में चाहे जिस स्थिति में हो, यदि अच्छी स्थिति में है तो उनकी स्थिति और बेहतर हो जाएगी, बुरी स्थिति में हो तो स्थितियों में सुधार हो जाएगा। अन्य लोगों के साथ उनके संबंध अधिक मधुर हो जाएँगे। इसे पढ़ने के उपरांत, उन्हें स्वयं के साथ एक आनन्दमय संसार चलता हुआ प्रतीत होगा। इस पुस्तक में व्यक्तित्व परिवर्तन से लेकर मनचाही मंज़िल प्राप्ति द्वारा ख़ुशी व सामाजिक व्यवहार द्वारा दूसरों को ख़ुशी बाँटने तक पर चर्चा की गई है। इस किताब में लिखे गए शब्द इतने सरल है जो किसी सामान्य हिंदी पढ़ने वाले व्यक्ति के लिए भी समझना अत्यंत आसान होगा।
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बनारस से ताल्लुक रखने वाली युवा हिन्दी लेखिका वंदना सिंह फ़िलहाल दिल्ली शहर में रहती हैं। वंदना जी पेशे से ऑनलाइन व्यवसायी हैं। इन्होंने एम.ए, एम.फिल, बी.एड तक की शिक्षा हासिल की है। वंदना जी को कॉलेज के दिनों से ही लिखने की आदत थी। प्रस्तुत पुस्तक में इन्होंने आधुनिक भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में ख़ुश कैसे रहा जाय, इससे सम्बन्धित बहुत से मूल मंत्र लिखे हैं। वंदना जी ने पुस्तक में लिखी बहुत सी बातों को ख़ुद के जीवन में आजमाया है। ख़ुद एक माँ, गृहणी, पत्नी और व्यवसायी होने के नाते जीवन की इस व्यस्तता को महसूस कर, उसमें ख़ुशियाँ तलाशने की तरक़ीब को नज़दीक से जाना है।
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