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एक आम मनुष्य समाज के अपेक्षित वर्ग में अवश्य आता है परंतु खुशियों में झूमता भी वही अधिक है। त्रासदियों में सबसे पहले टूटता भी आम मनुष्य है और उनसे सबसे प्रथम उभरता भी वही है। कह सकते हैं आम मनुष्य का जीवन शून्य से परस्पर जुड़ा हुआ रहता है। जो उसे कभी अंत कभी आगाज़ का अनुभव कराता है। शून्यता पुर्नावृति का माध्यम है इसीलिए कोई सफर शुरू से अंत नहीं होता बल्कि शून्य से शून्य ही होता है। शून्य संभावनाओं की अस्थि नहीं बल्कि शून्य संभावनाओं की पृथ्वी है जो किसी भी रूप और प्रकार के सृजन को तत्पर और विकसित होती रहती है।

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गढ़वाल हिमालय के लैंसडाउन क्षेत्र में इनका जन्म हुआ। प्राथमिक शिक्षा नौसेना की पृष्ठभूमि में दिल्ली, विशाखापट्टनम,  कोच्चि और मुंबई शहर के केंद्रीय विद्यालयों से प्राप्त की। मुंबई विश्वविद्यालय से स्नातक की शिक्षा, बैचलर ऑफ साइंस, वर्ष 1998 में पूर्ण की। शिक्षा के दौरान वह कई पेंटिंग प्रतियोगिताओं में पुरुस्कृत हुए और मुंबई विश्वविद्यालय के वर्ष 1997 में वॉटर कलर पेंटिंग में स्वर्ण पदक प्राप्त किया। एन. आई. आई. टी. से पोस्ट ग्रेजुएट इन सिस्टम्स मैनेजमेंट वर्ष 2002 में पूर्ण की। वर्तमान समय में वह सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पुणे में कार्यरत हैं। कविता लेखन के प्रति रुचि ने कार्यकारी जीवन के प्रारंभिक वर्षों में आकार लिया, और मित्रों एवं परिवार जनों का संपूर्ण सहयोग व प्रोत्साहन मिला। इसी कड़ी में उनका प्रथम काव्य संग्रह "मुसाफ़िर" नवंबर, 2020 में प्रकाशित हुआ । उनका मानना ​​है, कि कला के लिए हर प्रेरणा स्रोत किसी न किसी माध्यम से हमसे कुछ कहने की कोशिश करते हैं।

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