फ़ासलों में क़ैद ज़िंदगी हमारे अनेक रिश्तों पर नज़र डाल, उन्हें प्रकाशित करती है। चाहे वो माँ-बाप से हो, मित्र से, किसी ख़ास से हो, या ख़ुद से। इन चंद कविताओँ में कई एहसास छिपे हैं। चलिए साथ मिलकर ख़ोजें उन्हें ताकी ख़ुदको और इस मायानगरी-सी दुनिया को थोड़ा और बहतर जान सकें।
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प्रियांका अरोड़ा श्री अरबिंदो कॉलेज (मॉर्निंग), दिल्ली विश्वविद्यालय में अंग्रेजी विभाग में एक असिस्टेंट प्रोफेसर (अतिथि) हैं। उन्होंने नॉन-कॉलेजिएट महिला शिक्षा बोर्ड के तहत दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न कॉलेजों में भी इसी क्षमता में काम किया है, जो महिला सशक्तिकरण में योगदान देता है। उनकी पहली अंग्रेजी कविता संग्रह, Puzzle with Myriad Pieces, अगस्त, 2022 में प्रकाशित हुई है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में एम.फिल प्राप्त किया है। उनका शोध प्रबंध पारिस्थितिकीवाद और समकालीन भारतीय अंग्रेजी उपन्यास के क्षेत्र से संबंधित है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से बीए (ऑनर्स) और एम.ए. की पढ़ाई पूरी की। उनके पास प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में उनके नाम के तहत प्रकाशित तीन शोध पत्र हैं और एक कविता भी एक अंतर्राष्ट्रीय नारीवादी ऑनलाइन जर्नल में प्रकाशित है। उनकी एक और अंग्रेजी कविता संग्रह प्रकाशन के अधीन है। वह एक आंतरिक रूप से प्रेरित विद्वान और शिक्षाविद् हैं। वह अपनी सभी क्षमताओं में साहित्य, कविता, और कला के बारे में भावुक हैं। कविताएँ और कहानियाँ हमारे पूर्वजों की देन हैं। चलिए इन चंद कविताओँ में ज़िंदगी के कुछ सुर ढ़ूंढ़ लें...
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