top of page

प्रस्तुत कविता पुस्तक, जिसका शीर्षक "दुनिया" है, में कुल पाँच अध्याय हैंपहला अध्याय, शीर्षक - "अनुभव" में बीस कविताएँ हैं जिनमें लेखक के द्वारा ज़िन्दगी के कड़वे अनुभवों को कविताओं के रूप में प्रस्तुत किया गया हैइन कविताओं के माध्यम से वर्तमान समाज के लोगों के चरित्र और विलुप्त होती मनुष्यता को दर्शाया गया हैउपयुक्त कविताओं में कई पाठकों को अपने ख़ुद के जीवन अनुभवों और पीड़ाओं का प्रत्यक्ष दर्शन होगा

पुस्तक का दूसरा अध्याय "नारी और समाज" में सात कविताएँ हैंइन कविताओं में मुख्यतः स्त्रियों के वर्तमान दयनीय स्थिति का वर्णन किया गया हैसाथ ही "मैं नारी हूँ" शीर्षक कविता में नारी के शक्ति और पराक्रम की भी व्याख्या की गई है

तीसरा अध्याय जिसका शीर्षक है "नेता और जवान" में तीन कविताएँ हैं जिनमें देश के वीर सैनिकों के पराक्रम और उनकी राष्ट्र-सेवा का वर्णन तथा उनकी और उनके परिवार जनों की स्तुति के साथ-साथ आज के नेताओं के भ्रष्ट और दोहरे चरित्र का चित्रण किया गया है

 

चौथा अध्याय का शीर्षक "उठो-जागो" हैइसमें चार कविताएँ हैं जिनके माध्यम से एक हताश और कर्तव्यच्युत व्यक्ति को कर्तव्य बोध कराने के साथ-साथ उसके अंदर एक नयी ऊर्जा का संचार करने की कोशिश की गई है

पुस्तक का पाँचवाँ और अंतिम अध्याय जिसका शीर्षक है "प्रकृति और हम" में चार कविताएँ हैंइस अध्याय की पहली कविता, शीर्षक - "प्रकृति है हमारी माँ" में मनुष्य को प्रकृति के कोप से सचेत करने के साथ-साथ उससे पुनः प्रकृति की ओर लोटने का आग्रह किया गया हैदूसरी कविता "सर्वशक्तिमान कौन" में प्रकृति के पंचतत्वों के माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनका अस्तित्व और योगदान समाज में काफी महत्वपूर्ण होता है पर वह सबकी नजरों से छिपा होता हैअंत की दो कविताओं में क्रमशः प्रकृति के प्रातःकालीन सौन्दर्य तथा वर्षा ऋतु के मनमोहक रात्रि का वर्णन किया गया है

 

Duniya

SKU: RM12536
₹109.00Price
  •  

bottom of page