सरोजिनी जी ने जीवन के हर पहलू को छूते हुए एक स्वस्थ सुगिठत और सौम्य समाज की परिकल्पना करते हुए कविताओं को इस पुस्तक में रखा है। भाषा सरल है, हृदय-ग्राही है और आडंबरहीन है। आशा है पाठक गण “चिंतन की धूप “की कविताओं से न सिर्फ़ आनंदित होंगे,बल्कि प्रकृति परिवार और समाज की इकाइयों की महत्ता का प्रचार और प्रसार भी आने वाली पीढ़ियों के लिए कर सकेंगे।
Chintan Ki Dhoop
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