व्यंग्य संग्रह "अस्त-व्यस्त" के लेखक श्री राजेन्द्र प्रसाद मिश्रा ने सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्ति के पश्चात् वकालत के पेशे को अपनाया है एवं अपनी साहित्यिक रुचि के कारण "अस्त-व्यस्त" व्यंग्य संग्रह लिखा है। इस व्यंग्य संग्रह में लिखे गए विचार लेखक के अपने विचार हैं तथा काल्पनिक हैं जिसका किसी व्यक्ति या घटना से कोई संबंध नहीं है। यदि कोई समानता पाई जाती है तो वह मात्र संयोग माना जाए। व्यंग्य संग्रह का प्राक्कथन माननीय डॉ. आर. ए. दूबे जी द्वारा लिखा गया है जो कि भारत सरकार के एम. ई. एस. विभाग में डायरेक्टर जनरल रह चुके हैं एवं मणिपाल यूनिवर्सिटी जयपुर में भी अपनी सेवाएँ दे चुके हैं। हिन्दी साहित्य में गहरी अभिरुचि एवं भाषा पर अच्छी पकड़ है। उन्होंने अपना बहुमूल्य समय देकर इस रचना पर जो अपना अभिमत दिया है एवं रचनाकार का उत्साहवर्धन किया है, उनका हृदय से आभार है।
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